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ठंड की वजह से दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन में कमी, NDRI ने बचने के ये बताए उपाय

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NDRI द्वारा पशुओं को ठंड से निजात पाने हेतु नई एडवाइजरी जारी की है, हाल ही में हरियाणा में बढ़ती ठंड पशुओं को समस्या पैदा कर रही है, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि गाय, भेंस के दूध उत्पादन में ठंड की वजह से तकरीबन 8 से 10 प्रतिशत उत्पादन प्रभावित हो रहा है, इससे बचने हेतु national dairy research of institute ने बचाव के कुछ उपाय सुझाए हैं तो चलिए जानते हैं..

 

ठंड से दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन में कमी, NDRI द्वारा बचने के ये बताए उपाय

 

राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान ( NDRI) करनाल के मुताबिक जारी आंकड़ों में कहा गया है कि हरियाणा प्रदेश में ठंड की वजह से भैंस एवं गाय के दूध उत्पादन में तकरीबन 8 से 10 फ़ीसदी तक गिरावट देखने को मिल रही है इसे पशुपालकों को काफी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है वही पशुओं को ठंड से बचाने में भी काफी कठिनाई देखने को मिल रही है अधिकतर पशु बीमार भी पड़ रहे हैं।

 

सामान्य तौर पर दुधारू पशुओं का तापमान राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान NDRI के अनुसार 101.2 डिग्री फारेनहाइट रहता है। हालांकि जब तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट टेंपरेचर पशु का ठंड के मौसम में होता है उस समय अनेक समस्याएं पशुओ में देखने को मिलते हैं, जैसे दूध उत्पादन में गिरावट, पेट से संबंधित समस्या, सर्दी से बुखार एवम् अन्य अनेक प्रकार की मौसमी बीमारियां उत्पन्न होती है।

उपयुक्त सभी समस्याओं को देखते हुए हाल ही में पशुपालकों को NDRI ने सुझाव दिया है कि पशुओं का शरीर शीतलहर में भी संतुलित बनाए रखने के लिए उचित तापमान में रखने के साथ-साथ, पोषणसंबंधी आहार, देने का सुझाव दिया गया है। यदि पशु को पौष्टिक आहार और उचित तापमान नहीं मिलता है, तो इससे पशु के दूध का उत्पादन कम होने का खतरा 50 फीसदी बढ़ जाता है, एवम् कुल उत्पादन में 10 फीसदी कमी देखने को मिल सकती।

 

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान NDRI के निदेशक श्री धीरसिंह ने बताया कि पशुओं को ठंड से बचाने हेतु पशुओं के सुखे ठाण में तूड़ी का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है, इसके अतिरिक्त शीतलहर आने की संभावना वाली जगहों पर बोरी और टाट के पर्दे लगाने का बंदोबस्त समय पर करे, पशुपालकों को ध्यान देने की जरूरत है, कि पशुओं को पौष्टिक आहार प्रदान किया जाए और उन्हें गुनगुना एवम् स्वच्छ और ताजा पानी पिलाया जाए , कयोंकि पशुओं में दूध का उत्पादन क्षमता पानी और चारे के सेवन से ही होता है।

इसके अतिरिक्त पशुपालक पशुओं को ठंड से बचाव के लिए सरसों के तेल से मालिश करने की सलाह दी गई है। अधिक जानकारी के लिए पशुपालकों को अपने पशुओं के वेटरनरी डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए, एवम् ठंड से बचाव हेतू उचित प्रबंध किया जा सके।

 

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